भारतीय क्रांतिकारी संगठन : स्वतंत्रता संग्राम की अनसुनी कहानियाँ
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी संगठनों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष और जनजागरूकता के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन संगठनों ने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी आजादी की लौ जलाए रखी। 1901 से 1942 तक स्थापित इन संगठनों ने युवाओं को प्रेरित किया और स्वतंत्रता की लड़ाई को नई दिशा दी। यह लेख भारत और विदेशों में बने प्रमुख क्रांतिकारी संगठनों, उनके नेताओं, और उनके योगदान को विस्तार से बताता है।
भारत में स्थापित क्रांतिकारी संगठन
भारत में कई क्रांतिकारी संगठनों ने सशस्त्र विद्रोह और स्वदेशी भावना को बढ़ावा देकर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।
1. मित्र मेला (1901, पूना)
- संस्थापक: सावरकर बंधु (विनायक दामोदर सावरकर और गणेश सावरकर)
- विवरण: पूना में स्थापित यह संगठन युवाओं को क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित करने का केंद्र था। यह बाद में अभिनव भारत की नींव बना।
2. अनुशीलन समिति (1902, मिदनापुर; 1907, ढाका)
- संस्थापक: ज्ञानेन्द्रनाथ बोस (मिदनापुर); वारीन्द्र कुमार घोष और भूपेन्द्र नाथ दत्त (ढाका)
- विवरण: बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र। इसने युवाओं को हथियारबंद क्रांति के लिए प्रशिक्षित किया और अलीपुर बम कांड (1908) जैसी घटनाओं में भूमिका निभाई।
3. अभिनव भारत (1904, पूना)
- संस्थापक: विनायक दामोदर सावरकर
- विवरण: सशस्त्र क्रांति को बढ़ावा देने वाला यह संगठन ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ गुप्त योजनाओं के लिए जाना जाता है।
4. स्वदेश बाँधव समिति (1905, वारिसाल)
- संस्थापक: अश्विनी कुमार दत्त
- विवरण: बंगाल के वारिसाल में स्वदेशी आंदोलन को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित।
5. अंजुमान-ए-मोहिब्बाने वतन (1906, लाहौर)
- संस्थापक: सरदार अजीत सिंह
- विवरण: पंजाब में क्रांतिकारी भावनाओं को जागृत करने वाला संगठन।
6. भारत माता सोसायटी (1907, पंजाब)
- संस्थापक: अजीत सिंह और अम्बा प्रसाद
- विवरण: पंजाब में सशस्त्र क्रांति को संगठित करने के लिए स्थापित।
7. हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (1924, कानपुर)
- संस्थापक: शचीन्द्रनाथ सान्याल
- विवरण: काकोरी कांड (1925) के लिए प्रसिद्ध, इस संगठन ने सशस्त्र क्रांति के जरिए ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य रखा।
8. नौजवान सभा (1926, लाहौर)
- संस्थापक: भगत सिंह
- विवरण: युवाओं को क्रांतिकारी और समाजवादी विचारों से जोड़ने के लिए स्थापित।
9. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन (1928, दिल्ली)
- संस्थापक: चन्द्रशेखर आजाद
- विवरण: समाजवादी विचारधारा पर आधारित यह संगठन लाहौर षड्यंत्र (1929) और सेंट्रल असेंबली बम कांड के लिए जाना जाता है।
10. भारतीय गणतंत्र सेना (1930, चटगाँव)
- संस्थापक: सूर्य सेन
- विवरण: चटगाँव शस्त्रागार कांड (1930) के लिए प्रसिद्ध, इस संगठन ने बंगाल में सशस्त्र विद्रोह को प्रेरित किया।
विदेशों में स्थापित क्रांतिकारी संगठन
विदेशों में बसे भारतीयों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ये संगठन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आजादी की आवाज बने।
1. इंडिया हाउस (1904, लंदन, इंग्लैंड)
- संस्थापक: श्यामजी कृष्ण वर्मा
- विवरण: लंदन में भारतीय छात्रों को क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित करने का केंद्र। मदनलाल धींगरा जैसे क्रांतिकारी यहीं से प्रभावित हुए।
2. अभिनव भारत (1906, लंदन, इंग्लैंड)
- संस्थापक: विनायक दामोदर सावरकर
- विवरण: लंदन में सावरकर ने इस संगठन के जरिए सशस्त्र क्रांति को बढ़ावा दिया।
3. इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (1907, अमेरिका)
- संस्थापक: तारकनाथ दास
- विवरण: अमेरिका में भारतीय स्वतंत्रता के लिए जागरूकता फैलाने वाला संगठन।
4. गदर पार्टी (1913, सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका)
- संस्थापक: लाला हरदयाल, सोहन सिंह भाकना, रामचंद्र, बरकतुल्ला
- विवरण: गदर आंदोलन ने विदेशों में बसे भारतीयों, विशेषकर पंजाबियों, को क्रांति के लिए प्रेरित किया। गदर समाचार पत्र ने क्रांतिकारी विचारों को प्रसारित किया।
5. इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (1914, बर्लिन, जर्मनी)
- संस्थापक: लाला हरदयाल, वारीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय
- विवरण: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी से ब्रिटिश शासन के खिलाफ समर्थन जुटाया।
6. इंडियन इंडिपेंडेंस लीग और स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार (1915, काबुल, अफगानिस्तान)
- संस्थापक: राजा महेंद्र प्रताप
- विवरण: काबुल में अस्थायी सरकार बनाकर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।
7. इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (1942, टोकियो, जापान)
- संस्थापक: रास बिहारी बोस
- विवरण: जापान में भारतीय स्वतंत्रता के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया।
8. आजाद हिंद फौज (1942, सिंगापुर)
- संस्थापक: सुभाष चंद्र बोस
- विवरण: नेताजी ने आजाद हिंद फौज के जरिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र युद्ध लड़ा। आजाद हिंद सरकार की स्थापना और अंडमान-निकोबार की मुक्ति इसके प्रमुख योगदान हैं।

क्रांतिकारी संगठनों का महत्व
ये क्रांतिकारी संगठन भारत के स्वतंत्रता संग्राम की रीढ़ थे। भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, वी.डी. सावरकर, और मैडम कामा जैसे नेताओं ने इन संगठनों के माध्यम से भारतीयों में स्वतंत्रता की भावना जगाई। इनके साहस, बलिदान, और सशस्त्र विद्रोह ने ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया। काकोरी कांड, चटगाँव शस्त्रागार कांड, और आजाद हिंद फौज की लड़ाइयाँ आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
प्रमुख उद्धरण
“हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक भारत आजाद नहीं हो जाता।” – भगत सिंह
निष्कर्ष
भारतीय क्रांतिकारी संगठनों ने स्वतंत्रता संग्राम को न केवल साहस और बलिदान से बल्कि वैचारिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी समृद्ध किया। भारत और विदेशों में स्थापित इन संगठनों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ी। अनुशीलन समिति, गदर पार्टी, और आजाद हिंद फौज जैसे संगठनों की गाथाएँ भारत के स्वतंत्रता संग्राम की अनसुनी कहानियाँ हैं, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं।