हड़बूजी : मारवाड़ के पंच पीर
हड़बूजी का जीवन परिचय
हड़बूजी का जन्म भुंडेल (नागौर) में सांखला राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता मेहराज सांखला (कुछ स्रोतों में गोपालराज सांखला) और माता सौभाग थीं। वे बाबा रामदेवजी के समकालीन और मौसेरे भाई थे, जिससे उनकी आध्यात्मिक और पारिवारिक विरासत और भी विशिष्ट है। हड़बूजी ने अपने गुरु योगी बालीनाथ से दीक्षा ली, जो रामदेवजी के भी गुरु थे। बालीनाथ के मार्गदर्शन में उन्होंने तपस्या और लोककल्याण के कार्यों को जीवन का ध्येय बनाया। शकुनशास्त्र के विशेषज्ञ के रूप में, उनकी भविष्यवाणियाँ अक्सर सटीक होती थीं, जिसके कारण उन्हें “भविष्यदृष्टा” कहा जाता है।
- जन्म स्थान: भुंडेल, नागौर
- पिता: मेहराज सांखला
- गुरु: योगी बालीनाथ
- सवारी: सियार
- प्रमुख मंदिर: बैंगटी, फलौदी, जोधपुर
राव जोधा और तलवार की कथा
हड़बूजी का नाम मारवाड़ के इतिहास में राव जोधा, जोधपुर के संस्थापक, के साथ विशेष रूप से जुड़ा है। 15वीं शताब्दी में, जब मेवाड़ के राणा कुंभा ने मारवाड़ पर कब्जा कर लिया था, राव जोधा अपने राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिए संघर्षरत थे। इस संकटकाल में हड़बूजी ने अपनी कटार (तलवार) राव जोधा को भेंट की और आशीर्वाद दिया कि वे मारवाड़ को मुक्त कराएंगे। हड़बूजी की भविष्यवाणी और आशीर्वाद से प्रेरित होकर, राव जोधा ने मंडोर को मेवाड़ के कब्जे से मुक्त कराया। कृतज्ञता में, राव जोधा ने हड़बूजी को बैंगटी (फलौदी, जोधपुर) की जागीर प्रदान की। यह कटार आज भी उनकी शक्ति और आस्था का प्रतीक मानी जाती है।
बैंगटी मंदिर: हड़बूजी का पवित्र तीर्थ स्थल
बैंगटी, फलौदी (जोधपुर) में स्थित हड़बूजी का मंदिर, भक्तों के लिए एक प्रमुख आस्था केंद्र है। इस मंदिर में हड़बूजी की लकड़ी की गाड़ी (छकड़ा) की पूजा की जाती है, जो उनकी करुणा और लोककल्याण का प्रतीक है। कथा के अनुसार, हड़बूजी इस गाड़ी का उपयोग विकलांग गायों के लिए घास लाने और अकाल के समय जरूरतमंदों को अनाज वितरित करने के लिए करते थे। एक चमत्कारी कथा में कहा जाता है कि रामदेवजी से प्राप्त रतन कटोरा (प्याला) और सोवन चिरिया (छड़ी) के कारण उनकी गाड़ी में अनाज कभी खत्म नहीं होता था। हर साल बैंगटी में हड़बूजी का मेला आयोजित होता है, जहाँ हजारों श्रद्धालु उनकी पूजा और दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं।
सियार: हड़बूजी की रहस्यमयी सवारी
हड़बूजी की सवारी सियार (गीदड़) मानी जाती है, जो उनकी रहस्यमयी और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। मारवाड़ की लोक संस्कृति में सियार को हड़बूजी की उपस्थिति और आशीर्वाद का संदेशवाहक माना जाता है। भक्त इस विश्वास के साथ सियार को श्रद्धा से देखते हैं, और यह परंपरा हड़बूजी की लोकप्रियता को और गहरा करती है।
हड़बूजी की शिक्षाएँ और मारवाड़ की संस्कृति में योगदान
हड़बूजी का जीवन करुणा, सेवा, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। उन्होंने अपने गुरु बालीनाथ के मार्गदर्शन में तपस्या की और लोककल्याण के लिए कार्य किए। अकाल के समय उन्होंने अपनी गाड़ी से गाँव-गाँव जाकर जरूरतमंदों को अनाज और पशुओं को चारा वितरित किया। उनकी भविष्यवाणियों और चमत्कारी कार्यों ने उन्हें पंच पीरों (गोगाजी, रामदेवजी, पाबूजी, मेहाजी मांगलिया, और हड़बूजी) में एक विशेष स्थान दिलाया। मारवाड़ की संस्कृति में उनकी गाड़ी, सियार सवारी, और बैंगटी मंदिर आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
पंच पीरों की कहावत
मारवाड़ में पंच पीरों की महिमा को दर्शाने वाली एक प्रसिद्ध कहावत है:
“पाबू, हडबू, रामदे, मांगलिया मेहा। पांचो पीर पधारज्यो, गोगाजी जेहा।।”
रोचक तथ्य
- हड़बूजी राजस्थान के एकमात्र लोक देवता हैं, जिनकी पूजा लकड़ी की गाड़ी के रूप में की जाती है।
- वे बाबा रामदेवजी के अनन्य सहयोगी थे और उनके द्वारा दिए गए रतन कटोरा और सोवन चिरिया को चमत्कारी माना जाता है।
- हड़बूजी के पूजारी सांखला राजपूत होते हैं, जो उनकी गोत्र परंपरा को दर्शाता है।