चौहान वंश : शाकम्भरी और अजमेर का गौरवशाली इतिहास
चौहान वंश, राजस्थान के सबसे प्रतापी राजपूत वंशों में से एक, ने शाकम्भरी (सांभर), अजमेर, रणथम्भौर, और जालौर जैसे क्षेत्रों पर शासन किया। अपनी वीरता, सांस्कृतिक योगदान, और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध, चौहानों ने भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। यह लेख उनके उद्भव, प्रमुख शासकों, और स्थायी विरासत पर प्रकाश डालता है।
चौहान वंश की उत्पत्ति
चौहानों ने शुरुआत में नाडोल (पाली) में अपना राज्य स्थापित किया, और उनकी प्रारंभिक राजधानी अहिछत्रपुर (नागौर) थी। उनका मूल क्षेत्र सपादलक्ष, जांगलदेश में शाकम्भरी (सांभर) के आसपास था। इतिहासकारों और ग्रंथों में उनकी उत्पत्ति के बारे में विभिन्न मत हैं:
- पृथ्वीराज रासो के अनुसार, चौहान अग्निकुण्ड से उत्पन्न हुए, जो उनकी दैवीय उत्पत्ति का प्रतीक है।
- इतिहासकार पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा और ग्रंथ जैसे पृथ्वीराज विजय व हम्मीर महाकाव्य उन्हें सूर्यवंशी मानते हैं।
- कर्नल टॉड ने चौहानों को मध्य एशियाई विदेशी मूल का माना।
- डॉ. दशरथ शर्मा ने बिजोलिया लेख के आधार पर उन्हें ब्राह्मण वंशी बताया।
वासुदेव को शाकम्भरी चौहान वंश का संस्थापक माना जाता है, जिन्होंने 551 ई. के आसपास राज्य स्थापित किया। उन्होंने सांभर झील का निर्माण करवाया, जो आज भी उनकी विरासत का प्रतीक है।
प्रमुख चौहान शासक
अजयराज
- पृथ्वीराज प्रथम के पुत्र अजयराज ने 1113 ई. में अजयमेरू (अजमेर) नगर बसाया और इसे अपनी राजधानी बनाया।
- उन्होंने तारागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया।
- दिगंबर और श्वेतांबर जैन संप्रदायों के बीच शास्त्रार्थ की अध्यक्षता की।
अर्णोराज
- तुर्क आक्रमणकारियों को पराजित किया।
- अजमेर में आनासागर झील का निर्माण करवाया।
- चौलुक्य जयसिंह की पुत्री कांचन देवी से विवाह किया।
- शैव मत के अनुयायी थे।
विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव)
- बीसलदेव के नाम से प्रसिद्ध, विग्रहराज चतुर्थ (1158-1163 ई.) शाकम्भरी और अजमेर के महान शासक थे।
- उनका शासनकाल सपादलक्ष का स्वर्णयुग माना जाता है।
- दिल्ली के तोमर शासक को हराकर उसे अपना सामंत बनाया।
- संस्कृत में हरिकेली नाटक लिखा, जिसमें अर्जुन और शिव के युद्ध का वर्णन है।
- नरपति नाल्ह के बीसलदेव रासो में उनकी रानी राजमती और उड़ीसा से हीरे लाने की कथा का सुंदर वर्णन है।
- समकालीन लोग उन्हें कवि बांधव कहते थे।
- दरबारी कवि सोमदेव ने ललित विग्रहराज ग्रंथ लिखा।
- अजमेर में संस्कृत विद्यालय स्थापित किया, जिसे बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर ढाई दिन का झोपड़ा बनवाया।
- बीसलपुर कस्बा और झील का निर्माण करवाया।
- एकादशी के दिन पशु वध पर प्रतिबंध लगाया।
पृथ्वीराज तृतीय (राय पिथौरा)
- 1177-1192 ई. के शासक, पृथ्वीराज तृतीय एक वीर और प्रतापी सेनानायक थे।
- उनके पिता सोमेश्वर और माता कर्पुरी देवी थीं।
- 11 वर्ष की आयु में अजमेर का शासन संभाला।
- कन्नौज के राजा जयचंद गहड़वाल से उनके तनावपूर्ण संबंध थे।
- जयचंद की पुत्री संयोगिता को स्वयंवर से ले जाकर उनसे विवाह किया।
- तराईन का प्रथम युद्ध (1191 ई.) में तुर्क आक्रमणकारी मुहम्मद गोरी को हराया।
- तराईन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.) में गोरी से पराजित हुए और हसन निजामी के ताजुल मासिर के अनुसार, कैद के बाद उनकी हत्या कर दी गई।
- चन्दवरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो उनकी वीरता का वर्णन करता है, जिसे उनके पुत्र जल्हण ने पूरा किया।
- महोबा के चंदेल शासक परमर्दीदेव के सेनानायक आल्हा और उदल ने 1182 ई. में पृथ्वीराज के खिलाफ युद्ध में वीरगति प्राप्त की।
रणथम्भौर के चौहान
- पृथ्वीराज तृतीय के पुत्र गोविन्द राज ने रणथम्भौर शाखा की स्थापना की।
- सबसे प्रतापी शासक हम्मीर देव (1282-1301 ई.) थे, जिन्होंने 17 युद्धों में से 16 में विजय प्राप्त की।
- 1291 और 1292 ई. में जलालुद्दीन खिलजी के आक्रमणों को विफल किया।
- अलाउद्दीन खिलजी के विद्रोही सेनानायक मुहम्मदशाह को शरण देने के कारण 1301 ई. में रणथम्भौर पर आक्रमण हुआ।
- हम्मीर युद्ध में मारे गए, और उनकी पत्नी रंगदेवी ने जौहर किया। यह राजस्थान का प्रथम साका था।
- हम्मीर अपनी वीरता और हठ के लिए प्रसिद्ध हैं।
जालौर के चौहान
- सोनगरा चौहानों का शासन 13वीं सदी में था, जिसकी स्थापना कीर्तिपाल चौहान ने की।
- प्राचीन नाम जबालिपुर और किला स्वर्णगिरी कहलाता था।
- कान्हड़दे चौहान (1305 ई.) शासक बने।
- अलाउद्दीन खिलजी ने 1308 ई. में सिवाना दुर्ग पर कब्जा कर इसे खैराबाद नाम दिया।
- 1311 ई. में जालौर दुर्ग पर आक्रमण हुआ, जिसमें कान्हड़दे और उनके पुत्र वीरमदेव वीरगति को प्राप्त हुए।
- इस युद्ध का वर्णन पद्मनाभ के कान्हड़दे प्रबंध और वीरमदेव सोनगरा की बात में मिलता है।
नाडोल, सिरोही, और हाड़ौती के चौहान
- नाडोल: लक्ष्मण चौहान ने 960 ई. के आसपास स्थापित किया। कीर्तिपाल ने 1177 ई. में मेवाड़ को पराजित किया।
- सिरोही: लुम्बा ने 1311 ई. में देवड़ा शाखा की स्थापना की। सहसमल ने 1425 ई. में सिरोही नगर बनाया।
- हाड़ौती: देवा ने 1342 ई. में बूंदी में शासन स्थापित किया। 1818 ई. में विष्णुसिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि की।